खुशहाली का अमृत हमारे भीतर, मुस्कुराएं तो हर दिन महोत्सव, सेन्ट्रल जेल में आर्ट ऑफ़ लिविंग का शिविर, कैदियों ने समापन पर अनुभव किए साझा



हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।इंसान का नैसर्गिक गुण ही मुस्कुराना है...लेकिन जीवन की झंझावतों में वह अपने मूल गुण से ही भटक जाता है...कई बार ईश्वर के दिए इस प्रसाद को खो भी देता है, जिसके बाद संकटों में घिरता चला जाता है। मुस्कुराना ही मनुष्य का मूल स्वभाव है...ये महासंदेश नेताजी सुभाषचंद्र बोस केंद्रीय कारागार (सेन्ट्रल जेल) में नौ दिवसीय आर्ट ऑफ़ लिविंग के प्रिजन स्मार्ट शिविर में गूंजा। 

आजादी के अमृत महोत्सव पर आयोजित इस आयोजन में जेल में सजायाफ्ता और आरोपियों को जीवन जीने की कला और अध्यात्म से आदर्श जीवन की राह दिखाई। शिविर के समापन पर कैदियों में जो परिवर्तन आए हैं, वे अभूतपूर्व हैं। कैदियों को नित नए-नए अनुभव हुए हैं, जिन्हें उन्होंने खुद साझा किए हैं। 


कैदियों में सकारात्मकता बढ़ी-

नौ दिन चले इस शिविर के समापन पर जेल अधीक्षक अखिलेश तोमर ने बताया कि कैदियों ने शिविर में नित नए-नए अनुभव लिए। सुदर्शन क्रिया के साथ-साथ सांसों पर नियंत्रण और ध्यान की जो क्रियाएं उन्हें सीखने मिलीं, जिसके बाद सकारात्मक विचार और जीवन के प्रति नजरिया में बदला है। 


तीन खंड में हुआ शिविर-

बताया गया कि विशेष शिविर जेल के तीन खण्डों में एक साथ 150 बंदी भाई बहनों के लिए आयोजित हुआ। पूर्वी खंड में संस्था के प्रशिक्षक ऋतु राज असाटी एवं अरुणा सरीन, पश्चिमी खंड में नवीन बरसैयां और विजय अग्निहोत्री और महिला खंड में दीपा मूरजानी, प्रीती प्यासी, सरिता चौकसे और पद्मश्री करुणा मुदगल द्वारा योग, ध्यान, प्राणायाम और सुदर्शन क्रिया का प्रशिक्षण दिया गया।   


जीवन को नई दिशा दी-

आयोजन के समापन पर प्रशिक्षक ऋतु राज असाटी ने बताया कि गुरुदेव श्री श्री रविशंकर जी की प्रेरणा से आर्ट ऑफ़ लिविंग का यह शिविर लगातार 20 वर्षों से प्रदेश के समस्त जेलों में संस्था की वरिष्ट प्रशिक्षिका अरुणा सरीन के द्वारा आयोजित किया जा रहा है, जिसमें करीब 17 हजार से अधिक कैदियों ने लाभ उठाकर अपने जीवन को नई दिशा दी है।


बंदियों ने यूं बयान किया अनुभव-

01- इस शिविर के बाद बहुत ही हल्का महसूस कर रहा हूं, मानसिक रूप से बहुत की सकारात्मक हो गया हूं। समझ में आ गया है कि गुरुकृपा क्या होती है, ध्यान और साधना का हमारे जीवन में कितना गहरा महत्व है।

-- बिट्टू नामदेव - 

02- खुशी को कहीं नहीं, अपने अंदर की तलाश करना है, ये सूत्र मुझे शिविर में सीखने मिला है। शिविर में नियमितता के बाद मैरे जीवन में बहुत बदलाव आया है, जो बहुत की चमत्कारी है।

-- रोशन कुमार चौधरी 

03- जीने की कला का जो पाठ मैने पढ़ा, उसके बाद मैने खुद में बहुत परिवर्तन महसूस किया है। मैं आगे भी नियमित क्रियाओं को करते हुए अपने जीवर को ऊजावान और सकात्मक बनाकर आगे बढ़ूंगा।


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