हाई कोर्ट ने नगर निगम पर इतने हजार रुपये का जुर्माना लगाया, जानिए आखिर क्या है वजह

 

हाई कोर्ट ने कई बार मोहलत देने के बावजूद नगर निगम जबलपुर की ओर से जवाब पेश न किए जाने के रवैये पर सख्ती बरती। न्यायमूर्ति विवेक अग्रवाल की एकलपीठ ने अपनी तल्ख टिप्पणी में कहा कि यह आश्चर्य का विषय है कि कई बार मोहलत दिए जाने के बावजूद नगर निगम आयुक्त ने जवाब पेश नहीं किया। इसी के साथ हाई कोर्ट ने नगर निगम पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया। यह राशि दोषी अधिकारी से वसूलने स्वतंत्र भी कर दिया। कोर्ट ने व्यवस्था दी कि जुर्माने की राशि मध्य प्रदेश हाई कोर्ट विधिक सेवा समिति में जमा कराई जाए।

निगम आयुक्त को हाजिर होना पड़ेगा

हाई कोर्ट ने नगर निगम को अंतिम मोहलत देते हुए 15 दिन के भीतर जवाब पेश करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही स्पष्ट किया है कि यदि उक्त अवधि में जवाब प्रस्तुत नहीं हुआ तो नगर निगम आयुक्त को व्यक्तिगत रूप से हाजिर होना पड़ेगा।

क्या है मामला

ट्रांसपोर्ट नगर व्यापारी संघ अध्यक्ष राजेश अग्रवाल बबलू की ओर से याचिका दायर कर बताया गया कि ट्रांसपोर्ट नगर के 69 व्यापारियों के प्लाटों का आवंटन वर्ष-1992 में हुआ था। आवंटन के 30 साल बाद आज तक नगर निगम द्वारा ट्रांसपोर्ट व्यापारियों की लीज नहीं बनाई गई। इसी मुद्दे पर वर्ष-2019 में यह याचिका दायर की गई थी। इस मामले में पिछले दो वर्ष नौ माह से नगर निगम ने जवाब पेश नहीं किया। कोर्ट ने नगर निगम को कई बार जवाब पेश करने मोहलत दी। सुनवाई के दौरान अनावेदक की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ शर्मा ने बताया कि नगर निगम आयुक्त, ओआइसी व लीगल सेल को जानकारी दी जा चुकी है, लेकिन वहां से कोई निर्देश नहीं आए हैं।


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