अपने ही कर्मचारियों व अधिकारियों को तोहफा नहीं दे पा रही सरकार, पुरानी दरों से मिल रहा भत्ता, कर्मचारियों में है आक्रोश


जबलपुर।
मध्यप्रदेश का आज स्थापना दिवस समारोह पूरे प्रदेश में भव्यता के साथ मनाया गया, लेकिन मप्र सरकार के उनके अपने कर्मचारी ही शासन की अनदेखी के शिकार हैं और जिनकी वजह से आज मप्र का स्थापना दिवस मनाया जाता आ रहा है, वहीं शासन की नीतियों से नाखुश नजर आ रहे हैं, जिनको शासन की द्वारा विभिन्न प्रकार के भत्तों का लाभ नहीं मिल पा रहा है, इसी वजह से सभी में आक्रोश दिख रहा है।

इस संबंध में मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के माध्यम से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार राज्य शासन द्वारा राज्य के कर्मचारियों को 01 जनवरी 2016 तथा अध्यापक संवर्ग को 01 जुलाई 2018 से सातवां वेतनमान का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन राज्य शासन द्वारा उन्हें छटवें वेतनमान के अनुसार ही पुरानी दरों से मकान भाड़ा भत्ता, वाहन भत्ता, विकलांग भत्ता, आदिवासी क्षेत्र भत्ता एवं यात्रा भत्ता दिया जा रहा हैं।

भत्तों में होनी चाहिए बढ़ोत्तरी
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कर्मचारियों का ऐसा मानना है कि सातवां वेतनमान के अनुरूप भत्तों में बढ़ोत्तरी न होने सातवें वेतनमान का वास्तविक लाभ नहीं मिल पा रह है। शासन द्वारा राज्य कर्मचारियों के साथ सातवें वेतनमान के अनुसार भत्ते देने में सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

भत्तों में पुनर्निर्धारण की कर्मचारियों को है आस
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कर्मचारियों का कहना है कि कर्मचारी शासन से दीपावली के पूर्व भत्तों के पुनर्निर्धारण की आस लगाये हुए थे, जो पूरी न हो सकी, अब कर्मचारियों को प्रदेश के स्थापना दिवस के शुभ अवसर पर अपने भत्तों में बढ़ोत्तरी की आस लगाये हुए हैं।

समस्याओं व मांगों का निराकरण न होने से आक्रोश
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मप्र तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी संघ के योगेन्द्र दुबे, अर्वेन्द्र राजपूत, अवधेश तिवारी, अटल उपाध्याय, मुकेश सिंह, मंसूर बेग, आलोक अग्निहोत्री, बृजेश मिश्रा, योगेन्द्र मिश्रा, आशुतोष तिवारी, डॉ संदीप नेमा, सुरेन्द्र जैन, श्रीराम झारिया, राकेश दुबे, सुदेश पाण्डे आदि ने बताया कि उनके द्वारा लगातार मुख्यमंत्री को पत्राचार कर कर्मचारियों की समस्याओं व लंबित मांगों को पूरा करने के लिए एक बार नहीं बल्कि लगातार कई बार पत्र भेज जा चुके हैं, लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान कर्मचारियों की ओर अपनी निगाहें इनायत नहीं कर रहे हैं, जिससे लगातार कर्मचारियों को विभिन्न लाभ से वंचित होना पड़ रहा है और इसी वजह से कर्मचारियों में कहीं न कहीं अंदर ही अंदर आक्रोश बना हुआ है।

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