शासन को नहीं है पेंशनर्स पर ध्यान, बुढ़ापें में हो रहे हैं परेशान, मांगों को लेकर पीएम को भेजा पोस्टकार्ड


जबलपुर। कहते हैं कि बुढ़ापे में बुजुर्गों को आराम दिया जाना चाहिए और उन्हें किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं होने देना चाहिए, इसलिए बुढ़ापे में प्रत्येक शासकीय विभाग के द्वारा अपने कर्मचारी व अधिकारियों को घर पर आराम करने के लिए सेवानिवृत्त कर दिया जाता है, लेकिन इधर मध्यप्रदेश के हजारों पेंशनर्स बुढ़ापे में मप्र शासन की अनदेखी के शिकार हैं, जिससे उन्हें कई तरह की परेशानियों का सामना बुढ़ापे में करना पड़ रहा है और इतना ही नहीं बल्कि  पेंशनर्स को अपनी समस्याओं और मांगों के निराकरण करने के लिए सड़क पर आकर प्रदर्शन भी करने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, फिर भी उनकी समस्याओं व मांगों पर मप्र शासन का ध्यान नहीं है।


इस संबंध में पेंशनर्स एसोसिएशन के पदाधिकारियों से प्राप्त हुई जानकारी के अनुसार उन्होंने बताया कि राज्य पेंशनर्स को 10 प्रतिशत महंगाई राहत का लाभ नहीं मिल रहा है, इस संबंध के आदेश शासन को शीघ्र ही जारी किये जाने चाहिए, वहीं उन्होंने बताया कि पेंशनर्स को छठवें वेतनमान के 32 माह के एरियर्स का भुगतान नहीं हो रहा है, इसके अलावा सातवें वेतनमान के 27 माह के एरियर्स का भुगतान भी नहीं हुआ, वहीं पेंशनर्स को इलाज की नि:शुल्क व्यवस्था नहीं है और मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ राज्य पुर्नगठन अधिनियम 2000 की धारा 49 को पेंशनर्स हित में विलोपित  किया जाना चाहिए, जिसे विलोपित नहीं किया गया है। इस तरह से पेंशनरों की कई मांगें और समस्याएं हैं, जिन पर मप्र शासन का ध्यान नहीं है।

मप्र के पेंशनरों के लिए नहीं है कोई चिकित्सा सेवा
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मध्यप्रदेश शासन के विभिन्न विभागों में अपनी कई वर्षों की सेवाएं देने के बाद सेवानिवृत्त होकर पेंशनरों की श्रेणी में आने पर तमाम मध्यप्रदेश के विभागों के पेंशनरों को किसी भी प्रकार से कोई चिकित्सा सेवा का लाभ नहीं मिलता है, जबकि केन्द्र के कर्मचारियों को सीजीएचएस की सुविधा है, इसके लिए लगातार मप्र के पेंशनरों के द्वारा केन्द्र के समान सीजीएचएस की सुविधा प्रारंभ करने या प्रत्येक पेंशनरों को कम से कम 5 लाख तक का नि:शुल्क उपचार कराने की सुविधा देने की मांग की जा रही है, लेकिन इस पर मप्र शासन का कोई ध्यान नहीं है।

स्थापना दिवस पर मांगों को लेकर भेजा पीएम को पोस्टकार्ड
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पेंशनर्स एसोसिएशन मप्र के एच पी उरमलिया, अरूण सलारिया, गौरीशंकर पाण्डे, मोहन अग्रवाल, एम एल चौकसे, आर पी यादव, राधारमण तिवारी, एस पी शुक्ला, डॉ बी पी अवस्थी, बी एस पी गौर, ए के शुक्ला, अजीत कुमार तिवारी, डॉ एस पी सिंह, जी पी सराठे, नरेन्द्र चौकसे, लक्षमण प्रसाद बारी, आर पी मेहरा आदि ने बताया कि वह सभी पेंशनर्स अपनी मांगों के लिये मप्र शासन के मुख्यमंत्री व मप्र शासन की पेंशनर्स विरोधी नीतियों से व्यथित होकर अब अपनी लंबित मांगों की पूर्ति के लिये प्रत्येक पेंशनर्स अपने पोस्ट कार्ड के माध्यम से देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आज को अवगत कराने का कार्य किया ।

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