बड़ी खबर: जबलपुर में इस दिन यहां पर हो रहा है राष्ट्रीय आयोजन, यह लोग कर रहें खून पीने वाली बीमारी को जड़ से समाप्त करने के लिए कुछ ऐसी पहल, देखिए यह खबर


हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर)मध्यप्रदेश/जबलपुर। जैसा कि आप सभी को मालूम होगा कि मध्य प्रदेश में थैलेसीमिया व सिकिलसेल पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला पहली बार जबलपुर में आयोजित होने जा रही है। जिसमें संबंधित विशेषज्ञ चिकित्सकों द्वारा पीड़ितों आवश्यक उपचार संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी और इस बीमारी की रोकथाम के जरूरी उपाय बताए जाएंगे।






आपको मालूम होगा की विगत 5 वर्षो से हमारी संस्था जबलपुर में थैलेसीमिया व सिकीलसेल से पीड़ितों के बेहतर उपचार के लिए उन्हें विशेषज्ञ चिकित्सकों से आवश्यक परामर्श व उपचार उपलब्ध करवाने की दिशा में कार्य करते हुए आ रही है। इसी क्रम में राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष भी यह 2 दिवसीय आयोजन वृहद रूप में 16 व 17 सितंबर 2023 थैलेसीमिया व सिकिलसेल राष्ट्रीय कार्यशाला एवं स्वास्थ्य परीक्षण शिविर मानस भवन राइट टाउन जबलपुर में होने जा रहा है। कार्यशाला में हिस्सा लेने के लिए  विशेषज्ञ दिल्ली, गुड़गांव, बैगलोर, लुधियाना, इंदौर से आ रहें हैं, जिसमें जबलपुर के डॉक्टरों भी पीड़ितों का परीक्षण कर उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करने का कार्य करेंगे। इस दौरान आमजन को इन बीमारी के विषय में जागरूक कर उनकी जिज्ञासा को दूर करने की जरूरी जानकारियां प्रदान करवाई जाएगी। जबलपुर में 257 और पूरे मध्यप्रदेश में करीब 10 हजार थेलेसिमिया पीड़ित मरीज हैं।






हर वर्ष जन्म लेते हैं 10 से 15 हजार बच्चे:-

तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने 18 अगस्त 2020 को इंडियन रेडक्रॉस सोसाइटी के राष्ट्रीय मुख्यालय (आईआरसीएस एनएचक्यू) के ब्लड बैंक में थैलीसीमिया स्क्रीनिंग और परामर्श केंद्र का उद्घाटन किया था, इस दौरान उन्होंने पूरी दुनिया और भारत का आंकड़ा जारी करते हुए कहा था कि  वर्तमान समय में दुनिया के लगभग 270 मिलियन लोग थैलीसीमिया से पीड़ित हैं। दुनिया में थैलीसीमिया मेजर बच्चों की सबसे बड़ी संख्या भारत में है जिनकी संख्या लगभग 1 से 1.5 लाख है, और थैलीसीमिया मेजर के साथ लगभग 10,000-15,000 बच्चों का जन्म प्रत्येक वर्ष होता है।


सिर्फ यह है इलाज:-

थेलेसिमिया पीड़ितों के लिए उपलब्ध इलाज केवल बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन (बीएमटी) ही है। हालांकि, इस रोग से प्रभावित सभी बच्चों के माता-पिता के लिए बीएमटी बहुत ही मुश्किल और मंहगा इलाज है। इसलिए, उपचार का मुख्य स्वरूप बार-बार ब्लड ट्रांसफ्यूजन (रक्‍ताधान) कराना है, इसके बाद आयरन के अत्यधिक भार को कम करने के लिए नियमित रूप से आयरन किलेशन थैरेपी की जाती है, जिसके कारण कई ब्लड ट्रांसफ्यूजन होते हैं।


थैलेसीमिया को मुख्यतः दो वर्गों में बांटा गया है।

थैलेसीमिया मेजर: यह बीमारी उन बच्चों में होने की संभावना अधिक होती है, जिनके माता-पिता दोनों के जींन में थैलेसीमिया माइनर होता है। जिसे थैलेसीमिया मेजर कहा जाता है।


थैलेसीमिया माइनर: थैलेसीमिया माइनर उन बच्चों को होता है, जिन्हें प्रभावित जीन माता-पिता दोनों में से किसी एक से प्राप्त होता है। जहां तक बीमारी की जांच की बात है तो सूक्ष्मदर्शी यंत्र पर रक्त जांच के समय लाल रक्त कणों की संख्या में कमी और उनके आकार में बदलाव की जांच से इस बीमारी को पकड़ा जा सकता है।


इस प्रकार रोका जा सकता है बीमारी को:-


:- विवाह से पहले महिला-पुरुष की रक्त की जांच कराएं।

गर्भावस्था के दौरान इसकी जाँच कराएं।


:- रोगी की हीमोग्लोबिन 11 या 12 बनाए रखने की कोशिश करें।


:- समय पर दवाइयां लें और इलाज पूरा लें।


:- विवाह पूर्व जांच को प्रेरित करने हेतु एक स्वास्थ्य कुंडली का निर्माण किया जाए, जिसे विवाह पूर्व वर-वधु को अपनी जन्म कुंडली के साथ-साथ मिलवाना चाहिये। स्वास्थ्य कुंडली में कुछ जांच की जाती है, जिससे शादी के बंधन में बंधने वाले जोड़े यह जान सकें कि उनका स्वास्थ्य एक-दूसरे के अनुकूल है या नहीं। स्वास्थ्य कुंडली के तहत सबसे पहली जांच थैलीसीमिया की होगी। HIV, हेपाटाइटिस बी और सी। इसके अलावा उनके खून की तुलना भी की जाएगी और खून में RH फैक्टर की भी जांच की जाएगी। जिससे वह बीमारी से बच सकेंगे।


हमारी मांग:-


:- विवाह से पूर्व वर वधु की थेलेसिमिया की जांच जरूरी की जाए, तभी शादी के लिए मंजूरी दी जाए।


:- स्त्री रोग विशेषज्ञ चिकित्सको को शासन के द्वारा यह दिशा निर्देश दिए जाएं की उनके पास गर्भधारण से संबंधित उपचार के लिए आने वाली सभी गर्भवती महिलाओं की थेलेसीमिया की जांच अन्य जांचों की तरह अनिवार्य रूप से कराई जाए।


:- अगर किसी कारणवश गर्भ ठहर भी गया हो, तो फिर उस नवजात भूर्ण की जांच कराई जाए, अगर जांच में थेलेसिमिया मेजर के लक्षण दिखाई देते हैं तो उसे इस दुनिया में आने से रोका जाए।


पत्रकार वार्ता के दौरान अजय घोष, सरबजीत सिंह नारंग, विकास शुक्ला, पंकज सिंघई, डॉ संजय असाटी , सी के ठाकुर, शैलेश जैन, मोहित दुबे, कौशल दीक्षित,राहुल तिवारी भीष्म सदानंदानी आदि उपस्थित थे।

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