मेडिकल के जूनियर डॉक्टरों ने दी इस वजह से हड़ताल करने की चेतावनी, देखिए यह खबर

 हमारा इण्डिया न्यूज हर पल हर खबर मध्यप्रदेश जबलपुर। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के छात्र संगठन जूडा (जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन) ने  रविवार को बैठक की। यह बैठक मेडिकल कॉलेज परिसर में आयोजित हुई। जिसमें 9 तारीख से होने वाली हड़ताल के विषय में जूनियर डॉक्टरों ने रणनीति तैयार की और आवश्यक चर्चा की। इस दौरान उन्होंने बताया कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं होगी, तब तक हड़ताल पर जाने के निर्णय को वापस नहीं लिया जाएगा। जिससे मरीजों को भी उपचार में तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।




जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अपनी मांगों से जुड़ा पत्र अधिष्ठाता के समक्ष पहले ही प्रस्तुत कर चुका है, इसी सिलसिले में हड़ताल की सुगबुगाहट तेज होती देख कॉलेज प्रशासन ने एक अजीबोगरीब कदम उठाया, जिसके अंतर्गत उन्होंने कुछ जूनियर डाक्टरों के खाते में 15 दिन का वेतनमान डाल दिया।


जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ चन्द्रबाबू रजक ने बताया कि बैठक में यह निर्णय लिया गया कि कॉलेज प्रशासन के द्वारा 15 दिन की छात्रवृत्ति डाली गई है, लेकिन मेडिकल प्रबंधन के इस कदम से आने वाली हड़ताल पर किसी भी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा और हड़ताल का कार्यक्रम यथावत रहेगा। वहीं उन्होंने बताया कि समय पर छात्रवृत्ति न मिलने से तमाम जूनियर डॉक्टरों को तरह-तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।


:- सभी जूनियर डॉक्टरों को उनका जनवरी माह के पहले का पूरा वेतन भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए अर्थात नवम्बर एवं दिसंबर माह का पूर्ण छात्रवृत्ति तत्काल प्रभाव से दिया जाए।
:- प्रथम वर्ष के जूनियर डॉक्टर्स का 3 से 4 माह का बकाया छात्रवृत्ति का भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए।
:- लिखित में आश्वासन दिया जाए कि आगे से प्रत्येक माह की 5 तारीख तक सभी जूनियर डॉक्टर्स के वेतन का भुगतान सुचारू रूप से किया जाएगा।
:- इंटर्न डॉक्टर्स को 5 महीने से उनका स्टाइपेंड का भुगतान नहीं किया गया है, उनका भी भुगतान तत्काल प्रभाव से किया जाए।

जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन अध्यक्ष डॉ चन्द्रबाबू रजक ने बताया कि उक्त तमाम माँगों के पूरा न होने तक जूनियर डॉक्टर्स की हड़ताल जारी रहेगी। बैठक में हड़ताल को लेकर रूपरेखा तैयार की गई है। जिसमें 9  एवं 10 जनवरी को ओपीडी सेवाएं बन्द रखने का निर्णय लिया गया है और 11 जनवरी से आकस्मिक सेवाएं भी बंद कर दी जाएंगी।


जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल में जाने से मेडिकल की स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी हो जाएंगी, जिससे जबलपुर जिले के अलावा अन्य क्षेत्रों जैसे सतना, रीवा, कटनी, सागर, दमोह, मण्डला, नरसिंहपुर, गोटेगांव, कुण्डम, बरेला, सीधी, सिंगरौली सहित अन्य स्थानों से गंभीर बीमारी से पीडि़त होकर मरीज उपचार के लिए आते हैं, ऐसे में अगर जूनियर डॉक्टर हड़ताल में जाते हैं तो तमाम मरीजों के उपचार में कई तरह की परेशानियां होंगी, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं बेपटरी होने की संभावनाएं अधिक होंगी।



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