मेडिकल में रक्तदान के लिए जाना मतलब कड़ी चुनौती का सामना करने के बराबर है, क्योंकि यहां का स्टाफ रक्तदाताओं के प्रति गंभीर नहीं है और न ही मरीजों के प्रति संवेदनशील



हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज की यह एक सच्ची घटना है जिसको स्वयं एक रक्तदाता रोहित राठौर ने खुद व्यक्त की है, आप भी इस खबर को पूरा जरूर पढ़ें।

  स्त्री रोग विभाग वार्ड नं 16 में भर्ती मरीज श्रीमती संगीता अग्रवाल जी को गंभीर हालत में मेडिकल कॉलेज में भर्ती किया गया! हालत गंभीर होने के कारण इनको ओ नेगेटिव प्लेटलेट्स (एसडीपी) की कमी बताई गई ! यह बात जैसे ही रक्तदाता रोहित राठौर  के पास पहुंची तो उन्होंने मेडिकल ब्लड बैंक के एसडीपी मशीन ऑपरेटर सुनील स्टीफन जी को फोन करके उनकी उपस्थिति जानी! किन्तु स्टीफन जी द्वारा अवकाश पर होने की बात कही गई ! यही बात रक्तदाता रोहित राठौर द्वारा मरीज के परिजनों को कई बार बताया गया! और डॉ अनामिका नाथ को इस संदर्भ में सूचित करने को कहा गया! परिजनों द्वारा डॉ अनामिका नाथ को सारी वार्तालाप का विवरण प्रस्तुत किया गया, किंतु डॉ अनामिका नाथ, रक्तदाता को मेडिकल अस्पताल मैं बुलाने की जिद पर अड़ी रही और कहने लगी कि मैं खुद ओ नेगेटिव की एसडीपी मेडिकल ब्लड बैंक से बनवाऊंगी! रक्तदाता रोहित राठौर ने कई बार परिजनों से डॉक्टर अनामिका नाथ से फोन पर बात कराने का आग्रह किया, किंतु डॉ अनामिका नाथ एवं उनका स्टाफ किसी भी प्रकार की बात करने को तैयार ही नहीं था ! वैसे तो रोहित राठौर रक्तदाता के साथ-साथ एक प्रतिष्ठित कंपनी में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत हैं एवं मेडिकल अस्पताल से लगभग 15 से 20 किलोमीटर उस समय दूर रहे! डॉ अनामिका नाथ की एवं मरीज की गंभीर हालत को देखते हुए रक्तदाता रोहित राठौर तत्काल मेडिकल अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर अनामिका नाथ ने मरीज का ब्लड सैंपल एवं ब्लड रिक्वायरमेंट पर्ची परिजनों को थमा कर ब्लड बैंक जाने का निर्देश दिया ! जैसा कि पूर्व ज्ञात है कि श्री सुनील स्टीफन जी अवकाश पर जा चुके थे ब्लड बैंक जाने पर पुनः यही जवाब प्राप्त हुआ! 



आखिर रक्तदाता रोहित राठौर ने रानी दुर्गावती चिकित्सालय के ब्लड बैंक मैं जाकर अपनी एसडीपी बनवा कर मरीज के परिजनों को सौंपी एवं मरीज के उत्तम स्वास्थ्य की कामना ईश्वर से की! इस घटनाक्रम में लगभग 3 से 4 घंटे का समय खराब हुआ इस बीच यदि मरीज की हालत और गंभीर होती तो उसका जिम्मेदार कौन होता ??

रक्तदाता रोहित राठौर पिछले 11 वर्षों से निरंतर रक्तदान करते आ रहे हैं अब तक उन्होंने लगभग 39वी बार रक्तदान किया और उनका ब्लड ग्रुप  "ओ नेगेटिव यूनिवर्सल ब्लड ग्रुप" है


प्रशासन से कई सारे सवाल 

1) आखिर मरीज के परिजनों के साथ साथ रक्तदाता का समय क्यों बर्बाद किया जा रहा है मेडिकल कॉलेज में! 


2) डेंगू और चिकनगुनिया से नहीं ली अब तक कोई सीख !डेंगू में जिले ही नहीं आसपास के लगभग 12 से 15 जिले के सैकड़ों मरीज मरीज एसडीपी लगवाने जबलपुर आते थे ! 


3) क्या जबलपुर जिले की इतनी बड़ी मेडिकल हॉस्पिटल में एसडीपी मशीन ऑपरेटर श्री सुनील स्टीफन जी के ही हवाले है ! 


4) जिन्होंने पहले मशीन ऑपरेटर की ट्रेनिंग ली वो अपनी जिम्मेदारी से क्यों मुंह मोड़ रहे है और प्रशासन मौन क्यों ?????????


इस घटना को देखते हुए जबलपुर की समस्त रक्तदाता समिति, कलेक्टर एवं मेडिकल प्रशासन से मिलने की एक बहुत बड़ी योजना बना रहें है जल्द ही एक-दो दिन के अंदर उक्त समस्या का निराकरण नहीं हुआ, तो उग्र आंदोलन भी किया जा सकता है !

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