बच्चों के लिए प्रेरणा बन रही हैं आराध्या तिवारी, कम उम्र में कई गतिविधियों में हिस्सा लेकर कर रही हैं नाम रोशन





हमारा इंडिया न्यूज (हर पल हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर।  कहते हैं पूत के लक्षण पालने में नजर आ जाते हैं, साथ में यदि उच्च संस्कृति और संस्कार का सानिध्य भी जुड़ जाए तो निश्चित ही नई प्रतिभा रोशनी बनकर संभावनाओं के आकाश में झिलमिलाने लगती है, आज हम ऐसी ही अद्भुत प्रतिभा की धनी बाल विदुषी यानि बाल पत्रकार आराध्या तिवारी की बात कर रहे हैं, आराध्या तिवारी देश के पहले साहित्यक चैनल Óडायनामिक संवाद टी वीÓ में 2018 से निरंतर एंकरिंग कर सराहना व सुर्खियां बटोर रही हैं। वह सामाजिक सरोकार से जुड़कर पीडि़त मानवता की सेवा कर रही हैं, जो कि समाज के सामने एक मिसाल हैं और अन्य बच्चों व उनको परिजनों के लिए प्रेरणादायक है।

बाल भवन मध्यप्रदेश सरकार जबलपुर के माध्यम से  संगीत का विधिवत प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं ।  जिसके संचालक गिरीश बिल्लौरे जी हैं। स्वयं के चैनल प्रियम प्रियम और सिर्फ प्रियम का संचालन तो करती ही हैं साथ में  जबलपुर के विभिन्न साहित्यिक कार्यक्रमों में कविता पाठ करती आई हैं। साथ ही फिजिकल एक्टिविटी के प्रति भी आराध्या  का बड़ा रुझान है। वे नित्य योग , स्केटिंग का अभ्यास करती हैं। खेलों में निरंतर सक्रिय रहते हुए आराध्या ने राइफल शूटिंग, सिललिंग शॉट एवं कराटे की विभिन्न प्रतियोगिताओं में स्वर्ण पदक एवम अनेक प्रमाण पत्र  नन्ही सी उम्र में प्राप्त किए हैं।  बात कविता, कहानी , या गीत लेखन में रुचि की हो तो ये संस्कार उनको अपने दादा   तथा  ख्यातिलब्ध वरिष्ठ कवि,गीतकार,साहित्यकार,लेखक,पत्रकार डॉक्टर श्री राजकुमार तिवारी सुमित्र जी से  विरासत में मिले हैं।  आराध्या ने रिकॉर्ड होल्डर्स रिपब्लिक इंडिया (RHR)  द्वारा सर्टिफिकेट ऑफ एक्ससिलैंस, प्राप्त किया है। कोरोना काल में कोरोना सहायतार्थ निगम प्रशासन को अपनी बचत से 5000 रुपए प्रदान किये। प्रख्यात नृत्य निर्देशिका डॉ उपासना उपाध्याय द्वारा सुभद्रा कुमारी चौहान की रचना पर निर्देशित लघु फ़िल्म में सराहनीय अभिनय कर सराहना प्राप्त की।आराध्या  वर्तमान में स्मॉल वंडर्स सीनियर सेकेंड्री स्कूल में कक्षा 4 में अध्ययन रत हैं।

आपको साहित्य और पत्रकारिता विरासत में प्राप्त हुई है आराध्या तिवारी प्रियम कहानियां कहानियां और कविताएं भी लिख लेती हैं ।अपनी समस्त प्रतिभा का श्रेय आराध्या अपने दादा,माता पिता ,स्कूल के शिक्षक  शिक्षिकाओं ,स्कूल प्रबंधन को देती हैं।आराध्या का मानना है कि घर के बाद मेरी पहली पाठशाला स्कूल है जहां से मैं अपने गुरुजनों से निरंतर सीख रही हूं ।जहां मुझे जीवन में कुछ बड़ा करने का संकल्प भी प्राप्त हुआ है और निरंतर शक्ति भी।हम सभी आराध्या के उज्ज्वल भविष्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं।


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