बड़ी खबर: करोड़ों रूपये का हुआ ओपन कैप घोटाला, शासन को अधिकारियों ने पहुंचाया भारी नुकसान


हमारा इण्डिया न्यूज हर पल हर खबर मध्यप्रदेश/जबलपुर। मप्र वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन द्वारा प्रदेश के विभिन्न जिलों व संभागों में ओपन कैप का निर्माण करवाया गया था, जिसमें भारी मात्रा में ओपन कैप बनाए गए थे, यह ओपन कैप इमरजेंसी में धान, गेंहू, चना, मसूर, मंूग आदि आनाजों को रखने के लिए बनाए गए थे, लेकिन अब यह ओपन कैप प्रदेश के किसी भी संभाग व जिले में नहीं दिखाई दे रहे हैं, जिसमें अधिकारियों की मिलीभगत से प्रदेश में बड़ा घोटाला उजागर होता हुआ दिख रहा है।

ऐसा ही एक मामला जबलपुर संभाग के सिवनी, बालाघाट, छिंदवाडा, कटनी, बालाघाट, बंदरकोला, शहडोल, सिंगरौली, रीवा सहित अन्य जिलों से ओपन कैप गायब हो जाने का मामला हाल ही में प्रकाश में आया है। बताया गया है कि करोड़ों की लागत से बनने वाले ओपन कैप अब अपने स्थानों से गायब हो गए हैं, जैसे कि एक स्थान में उदाहरण के तौर पर लगभग 100 कैप बनाए गए है तो वहां पर  सिर्फ मात्र 30 से 50 प्रतिशत यानि की 50 से 30 की संख्या में ही ओपन कैप बचे हुए हैं, इस तरह से 30 से 70 प्रतिशत ओपन कैप गायब हो गए हैं, जिससे सरकार को करोड़ों रूपये की क्षति पहुंचने का मामला सामने आता हुआ दिख रहा है।






जानिए क्या होता है ओपन कैप:-
मप्र वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन के द्वारा शासकीय भूमि में धान, गेंहू, मूंग, मसूर, चना सहित अन्य आनाज को इमरजेंसी में सुरक्षित रखवाने के लिए ओपन कैप का निर्माण करवाया जाता है, जिसमें उक्त सहित अन्य अनाजों को सुरक्षित रखा जाता है, जिसे ओपन कैप कहा जाता है। ओपन कैप के निर्माण के लिए शासन से कलेक्टर के द्वारा भूमि उपलब्ध करवाई जाती है।

सुरक्षा के बावजूद कैसे गायब हुई ईटें:-
जानकारों ने बताया है कि शासन द्वारा जिस भी स्थान में ओपन कैप का निर्माण करवाया जाता है, वहां पर चारों तरफ सुरक्षा की दृष्टि से फेंसिंग करवाई जाती है और संग्रहित अनाज की सुरक्षा के लिए कैमरे व गार्ड को तैनात किया जाता है, उसके बावजूद ईटों का गायब होना, कहीं न कहीं मप्र वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन के जिम्मेदार अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित करते हैं।

इस तरह से बने थे ओपन कैप:-
जानकारी के अनुसार ओपन कैप के निर्माण के लिए शासन के द्वारा अलग-अलग वर्षों में आवश्यकता के अनुसार निविदा जारी कर ओपन कैप का निर्माण करवाया गया था, जिसके तहत 20 बाई 30 का कैप तैयार करवाया गया था, जिसकी लागत करीब 30 हजार रूपये बताई गई थी, जिसमें एक कैप बनाने में लगभग 5300 से लेकर 5500 ईटें लगी थी, जिसे दो ईटों के बराबर की हाईट में तैयार करवाया गया था। जिसमें अनाज रखने पर उसे तिरपाल से अच्छी तरह से ढंक दिया जाता है।

ठेकेदार को ही ईट ले जाने के दे दिए आदेश:-
मप्र वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन ने ही बनवाया ओपन कैप और प्रत्येक ठेकेदार को लाखों रूपये का भुगतान किया गया, जिसके बाद ओपन कैप का उपयोग होने के उपरांत उसे हटाने के लिए संबंधित ठेकेदार को ही आदेश दे दिया गया, इस तरह से जिस ओपन कैप के निर्माण में लाखों रूपये शासन के खर्च हुए और ओपन कैप की ईटें भी शासन की हो गई थी, फिर बाद में ठेकेदार को ही ऐसे तमाम ओपन कैपों में लगी ईटों को उठाने का आदेश दिया जाना कहीं न कहीं मप्र वेअरहाउसिंग एण्ड लॉजिस्टिक्स कॉर्पोरेशन की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान अंकित करता है।

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