नर्मदा जी के तट पर पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और दान करना मोक्षदायी: पंडित श्रवण शास्त्री

हमारा इंडिया न्यूज (हर पल-हर खबर) मध्यप्रदेश/जबलपुर। शाश्वत धर्मरक्षा समिति के द्वारा श्री नीलकंठेश्वर महादेव मंदिर श्री भाऊजी महाराज आश्रम उत्तर तट तिलवाराघाट जबलपुर में पितृदेवों की प्रसन्नता के लिए नर्मदा जी के पावन तट में श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन 11 से 18 सितम्बर पर्यन्त तक होगा। इस संबंध में कथा व्यास पंडित श्रवण शास्त्री ने बताया कि पितृपक्ष पितृ पर्व के अवसर पर समस्त धर्मावलंबी जनों के पितृदेवों की प्रसन्नता, पितृ गणों के मोक्ष, पितृदोष की शान्ति के लिए श्रीमद् भागवत कथा का आयोजन किया जा रहा है। जिसका शास्त्रीय उदाहरण स्कन्द पुराण, रेवाखण्ड में भी उल्लेख है। श्रीमद् भावगत कथा की  शोभायात्रा में विशेष रूप से कथा के यजमान एवं मातृ शक्तियां नर्मदा जी में वरुण पूजन करके भागवत कथा का शुभारंभ हुआ। इस दौरान शिवकुमारी तिवारी, हरी किशोर समाधिया, राम सुहावन तिवारी, शशि भूषण पांडे, आभा मिश्रा, सपना तिवारी आदि ने व्यास पीठ का पूजन किया।
कथा व्यास पंडित श्रवण शास्त्री ने बताया कि नर्मदा दर्शनादेव पापिनोऽपि विमुच्यते, तर्पणं श्राद्धकर्माणि सर्वाण्येव फ लं भवे। कथा व्यास शास्त्री के अनुसार नर्मदा जी के तट पर पितृपक्ष में श्राद्ध, तर्पण और दान करना मोक्षदायी है और पितरों को तृप्त कर देता है। श्री नर्मदा जी के पावन तट इन्द्र गया समीपवर्ती क्षेत्र में सार्वजनिक साप्ताहिक श्रीमद्भ भागवत महापुराण मोक्षमयी यज्ञ जनमानस कल्याणार्थ दिव्य आयोजन है। पितृपक्ष में दान का बहुत अधिक महत्व है, क्योंकि यह पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करता है, पितृदोष दूर करता है और परिवार के लिए सुख.समृद्धि कारक है। पितरों के निमित्त दान करने से पितर प्रसन्न होते हैं और परिवार पर अपनी कृपा बनाए रखते हैं। अन्नदान दानमेकं कलौ युगेष् शुभ माना जाता है।
कथा व्यास श्रवण शास्त्री के अनुसार विशेष अपने पितरों पूर्वजो के निमित्त पितृपक्ष में भागवत जी का मूल पाठ पितृ गायत्री मंत्र का जाप अवश्य करना चाहिए।

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